तुम नीचे हम ऊपर "
ये क्या है जी ?
ये कविता है
कविता ?
तुम नही समझोगे ,तुम ठहरे गंवई,कभी टी वी देखा है .वहां हमारी इसी कविता पे तालिया बजती है
मगर ?
खामोश ,जानते हो हम कौन है .नही ये विडियो देखो .
सुबह से जबरदस्ती के विडियो के कई शो चालू है .बिना दर्शको की परवाह के .
एक बात ओर इन कवि की कविता पे बारह लाइनों की वाह वाही सबसे पहले किसने की थी आप जानते है ?जाने दीजिये फ़िर कहेगे हम उनके पीछे पड़े है .
Saturday, August 1, 2009
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5 comments:
:-) :-) lage rahiye bhaiya/bahana.
इस अलबेले कवि को मुंह की बबासीर है . इधर ज्यादा रिस रही है .
umda post !
ha maine ki thi tippani tu kya kar lega? aur bhi karuga mujhe koi nahi rok sakta. sabke sath milkar chalne mei burai kya hai?
Sundar.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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