Saturday, August 1, 2009

अलबेले कवि

तुम नीचे हम ऊपर "
ये क्या है जी ?
ये कविता है
कविता ?
तुम नही समझोगे ,तुम ठहरे गंवई,कभी टी वी देखा है .वहां हमारी इसी कविता पे तालिया बजती है
मगर ?
खामोश ,जानते हो हम कौन है .नही ये विडियो देखो .
सुबह से जबरदस्ती के विडियो के कई शो चालू है .बिना दर्शको की परवाह के .



एक बात ओर इन कवि की कविता पे बारह लाइनों की वाह वाही सबसे पहले किसने की थी आप जानते है ?जाने दीजिये फ़िर कहेगे हम उनके पीछे पड़े है .

5 comments:

L.Goswami said...

:-) :-) lage rahiye bhaiya/bahana.

Anonymous said...

इस अलबेले कवि को मुंह की बबासीर है . इधर ज्यादा रिस रही है .

Unknown said...

umda post !

Anonymous said...

ha maine ki thi tippani tu kya kar lega? aur bhi karuga mujhe koi nahi rok sakta. sabke sath milkar chalne mei burai kya hai?

admin said...

Sundar.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }